चार निकाह की इजाज़त तब थी जब जंग में पुरुष मारा जाता था और स्त्रियाँ अकेली रह जाती थी.

मुस्लिम मर्द या तो चार निकाह के कान्स्पेट को विधवा, गरीब,बेसहारा,यतीम और ज़रूरतमंद स्त्रियों के इस्लामिक अवधारणा तक सीमित करें या फिर चार निकाह करना बंद करें. यौन आकांक्षाओं के लिए कम उम्र की लड़कियों से शादी करके मुसलमानों को बदनाम करने वालों के खिलाफ मुसलमानों को बोलना पड़ेगा. चार निकाह की इजाज़त तब थी जब जंग में पुरुष मारा जाता था और स्त्रियाँ अकेली रह जाती थी. तब का अरब समाज कैसा था यह किसी से छुपा नहीं है. ऐसे में शादी करके घर लाना ,संपत्ति में हक़ देना , मुहब्बत , आदि बराबरी का ही रूप था लेकिन अब ऐसा नहीं दिखता. ज़्यादातर दूसरी शादी लड़का पैदा करने , खुबसूरत और कम उम्र की लड़की से सेक्स करने के लिए की जा रही है. और मर्द ,इसे इस्लाम के नाम पर कर रहा है. रोक लगाई. ये मत कहियेगा की लोग नहीं करते . दुनिया बहुत बड़ी है . खूब करते हैं . फतवा निकलवाइये . शरिया बदलवाइए. टाईट कीजिए नियम .
Source - Mohammad Anas - Facebook Post